हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, बराज़जान के इमामे जुमा, हुज्जतुल इस्लाम मुस्लेह ने शहीदों की जामा मस्जिद की ट्रस्टी कमेटी के परिचय समारोह में कहा कि मस्जिदें केवल नमाज़ अदा करने के स्थान नहीं हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि मस्जिदों को सांस्कृतिक, सामाजिक और शैक्षिक गतिविधियों के केंद्र में बदला जाना चाहिए, और इस दिशा में व्यापक जनसहभागिता की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे कहा,मस्जिद की सेवा करना समाज की सेवा करने के समान है अगर हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को महसूस करे तो हम बड़े लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
बराज़जान के इमामे जुमा ने मस्जिदों के पुनरुद्धार और प्रबंधन में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए नई पीढ़ी को मस्जिदों की ओर आकर्षित करने के लिए शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता बताई।
उन्होंने कहा,हम आपसी एकता और सहयोग से शहीदों की जामा मस्जिद को सांस्कृतिक उन्नति और प्रगति का केंद्र बना सकते हैं।
इसके अलावा उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मस्जिदें संवाद विचार-विमर्श और समाज की सांस्कृतिक उन्नति के लिए एक स्थान होनी चाहिए, ताकि वे सामाजिक समस्याओं के समाधान में प्रभावी भूमिका निभा सकें।
गौरतलब है कि कार्यक्रम के अंत में दश्तिस्तान के इमामे जुमा द्वारा शहीदों की जामा मस्जिद दहेकायद गांव की ट्रस्टी कमेटी के सदस्यों को आधिकारिक नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए।
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